Modern Education - Sastriya Foundation

Modern Education - Sastriya Foundation
Modern Education based on Sastriya Framework

"आप बार बार बताते हो की आधुनिक शिक्षण फलाना है ढिकना है ॥ उपाय क्या ? तो आपके हिसाब से यथार्थ शिक्षण की रूपरेखा क्या हो सकती है?"

"मेरे हिसाब से छोड़िए ! मेरा हिसाब मिथ्या हो सकता है | यहाँ पर शास्त्र आधार ले लीजिए | तैतरिय उपनिषद - शिक्षा वल्ली का श्रवण - मनन -चिंतन - निदिध्यासन कीजिए"

मेरे अभ्यास के अनुसार , सक्षम गृहस्थ (वैसे तो जो सक्षम है उसे ही गृहस्थ जीवन की अनुमति होनी चाहिए!) और ज्ञान\अनुभव से वृद्ध वानप्रस्थ, शिक्षण व्यवस्था का आधार हो! उनके आधार पर, गुरु की स्वतंत्रता से , गुरु-शिष्य की समरूपता से (सहजीवन से) आरण्य में , प्रकृति दत्त  शिक्षण हो !

शिक्षण शिक्षा से प्रारंभ हो - वाक् साधना सबसे प्राथमिक शिक्षण है | भाषा शिक्षण | संस्कृत - मातृ भाषा शिक्षण | गीत - संगीत - अभिव्यक्ति के विविध माध्यम से | कंठस्थकरण से (अष्टाध्यायी , भगवद गीता , योग सूत्र आदि कंठस्थ हो) | (आयु ४ से ८)

शिक्षा के वाद अनिवार्य तात्विक विद्या का काल प्रारंभ होता है (आयु  ८ से २०) | आधि दैविक, आध्यात्मिक और आधिभौतिक विद्या क्रम से आत्मसात हो |

आधिदैविक विद्या - लोक का ज्ञान - Physics, Mathematics, Chemistry, Astronomy, Astrology, Weather Forecast, Engineering etc. (८ वर्ष से प्रारंभ हो कर ब्रह्मचर्य अवस्था के अंत तक चले !)

आधिभौतिक विद्या - परलोक और सामाजिक ज्ञान - कला, आयुर्वेद, योग, क्रीडा, नीति शास्त्र, न्याय शास्त्र , साहित्य, आचार, आहार -विहार आदि का ज्ञान (८ वर्ष से प्रारंभ हो कर गृहस्थ जीवन के अंत तक)

आध्यात्मिक विद्या - आत्म साक्षात्कार साधना - क्रिया योग (तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान) - यह ८ वर्ष की आयु से प्रारंभ हो कर  जीवन पर्यंत चलने वाला शिक्षण है ! इससे ही परंपरा टिकती है !

कितना सरल है न ?